शुरुआत

 शुरुआत 


तुझसे मिलने कि आरज़ू अब मुझे सताती नही है,

‘ तेरे साथ वक्त बिताना ‘ ये खयाल तो बहुत अच्छा है मगर अब इसमे भी एक अंतर है,

मैं सोचूं ना अगर तो ये खयाल अब खुदसे आता नही है।


तेरे नाम से ये दिल अब थोड़ा कम दुखता है,

तेरी याद तो आही जाती है मगर ये दिन अब थोड़ा कम उदास गुज़रता है।


और उस अतीत मे मैं जी तो लू मगर क्या फायदा,

उस अतीत मे मैं रह तो लू मगर क्या फायदा,

ना कुछ बदलेगा ना ही कुछ सुधरेगा।

भविष्य की चिंता करते करते वर्तमान बिगड़ गया,

चिंता इतनी कर ली की मेरा वर्तमान ही मेरा अतीत बन गया।


अब उस अतीत को अतीत मे ही रहने देते है,

ध्यान अपने आज पर दे लेते है।

भुलाकर सब अब करते है एक नई शुरुआत,

इन लकीरों मे अगर तू लिखी हुई तो होगी फिर कभी मुलाकात।


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